Tuesday, July 22, 2008

सिंह बने किंग

प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लोकसभा में विश्वास मत हासिल कर लिए जाने के साथ ही देश के राजनीतिक और संसदीय इतिहास में एक नया रोमांचक अध्याय जुड़ गया।मनमोहन सरकार ने विश्वास मत 19 मतों के द्वारा जीत लिया है। सरकार के पक्ष में 275 मत और विपक्ष में 256 ही मत पड़े जबकि अनुपस्थित दस सदस्यों में भाजपा के आठ और टीडीपी के दो सदस्य थे। सिंह सरकार पर संकट की घड़ी में यह उपलब्धि अपने नाम लिखवाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री बन गये है। देश के अब तक के संसदीय इतिहास में पांच प्रधानमंत्रियों ने अपनी सरकार पर छाये संकट के समय हासिल करने का प्रयास किया और पांचों ही उसमें असफल रहे। वे प्रधानमंत्री थे, मोरारजी देसाई, चरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच.डी. देवेगौडा और अटल बिहारी वाजपेयी। इनमें से मोरार जी देसाई ने स्थिति को भांपकर सदन में विश्वास मत के प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। उनके बाद प्रधानमंत्री बने चरण सिंह को लोकसभा का विश्वास हासिल करना था लेकिन वह सदन का सामना ही नहीं कर सके। विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार कांग्रेस और भाजपा द्वारा विरोध में मतदान के फलस्वरूप सदन में विश्वास मत के प्रस्ताव पर हार गयी थी। देवेगौड़ा ने कांग्रेस का समर्थन नहीं मिलने के कारण विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही त्यागपत्र दे दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी 1996 में सदन में मतदान से पहले ही अपनी 13 दिन की सरकार का इस्तीफा देने पर विवश हो गये थे जबकि 1998 में उनकी सरकार विश्वास मत का प्रस्ताव एक वोट से हार गयी थी। इसप्रकार मनमोहन सिंह ने एक इतिहास रचकर सिंह किंग बन गए।

1 comment:

Udan Tashtari said...

है तो खैर नया इतिहास ही!