Thursday, August 7, 2008

ईश्वर के यहां न्याय है अन्याय नहीं

कहा जाता है कि ईश्वर के यहां न्याय है अन्याय नहीं। तानाशाही शासन के शासकों का अंत बुरा ही होता है। खासकर पाकिस्तान में तो ऐसे कई उदाहरण हैं जिनका अंत बहुत बुरा हुआ है। तानाशाह बनकर प्रजा पर शासन तो किया जा सकता है पर उनकी बददुआएं ही उस शासक के पतन का कारण बन कर उभरती हैं। प्रजा की आवाज को बंद कर देने वाले मुशर्रफ आज अपनी गद्दी बचाने में जुटे हुए हैं, लेकिन उम्मीद कम ही लगती है कि वह इसमें सफल हो पाएंगे। पाकिस्तान में सत्तारुढ़ गठबंधन के दोनों प्रमुख दलों पीपीपी और पीएमएल-एन ने कहा कि वे राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर महाभियोग चलाने के लिए और मुशर्रफ द्वारा पिछले साल बर्खास्त किये गये न्यायाधीशों को बहाल करने के संबंध में सहमति पर पहुंच गये हैं। मुशर्रफ पर महाभियोग के बाद 24 घंटों के भीतर बर्खास्त न्यायाधीशों को बहाल किया जायेगा। पाकिस्तान के सत्तारुढ़ गठबंधन ने राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर महाभियोग लगाने की तैयारी कर ली है। सरकार ने मुशर्रफ के खिलाफ 11 अगस्त को महाभियोग लगाने का फैसला किया है। संसद में 11 अगस्त को इस संबंध में प्रस्ताव लाया जाएगा। नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन ने कहा है कि तीन दिनों की बातचीत के बाद आसिफ अली जरदारी की पीपीपी के साथ सभी प्रमुख मुद्दों पर सहमति हो गयी है।

3 comments:

शोभा said...

विचार प्रधान लेख है। अच्छा लगा।

Anonymous said...

जब ईश्वर ही कहीं नहीं है। फिर उसके न्याय-अन्याय का सवाल ही कहां पैदा होता है।

Prabhakar Pandey said...

बिलकुल सही कहा आपने।