Tuesday, August 12, 2008

एक सितारा चमका तो दूसरा बेनूर, फौजी रो पड़ा

हमेशा जीत का जज्बा रखने वाले फौजी राज्यवर्धन सिंह राठौड़ आज बीजिंग ओलंपिक की डबल ट्रैप स्पर्धा में मिली नाकामी के बाद अपने आंसू नहीं छिपा सके और उन्होंने कहा कि वह प्रतिस्पर्धी निशानेबाजी छोड़ सकते हैं। स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने में नाकाम रहने के बाद एथेंस ओलंपिक का यह रजत पदक विजेता फफक पड़ा और अब उसे गंभीरता से सोचना होगा कि वह निशानेबाजी रेंज में दोबारा प्रतिस्पर्धा पेश करेगा या नहीं।अभिनव बिंद्रा के रूप में भारत को ओलंपिक का एक नया महानायक मिला तो एथेंस में कामयाबी की दास्तान लिखने वाले निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौड़ एक अरब की आबादी की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाए। यानी एक सितारा चमका तो दूसरा बेनूर हो गया।ओलंपिक में मैन्स डबल ट्रेप प्रतिस्पर्धा से बाहर होने पर भारतीय निशानेबाज फौजी राज्यवर्धन सिंह राठौड़ रेंज में ही रो पडे़। सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई न कर पाने का दुख उनके चेहरे पर साफ नजर आया और हताश होकर यहां तक भी कह दिया कि मुझे मालूम नहीं कि अगले ओलंपिक में आ पाऊंगा या नहीं।

2 comments:

समयचक्र said...

sach hai sitare hamesha shayad sath nahi dete hai .yahi to samay ka khel hai . dhanyawaad.

Udan Tashtari said...

सही है, हर दिन सितारे एक से नहीं रहते.