Tuesday, September 9, 2008

दोहरी नीति में पिसते गांधी जी


सरकार का भी क्या कहना। महात्मा गांधी के देश में उन्हीं की ब्लेक मेलिंग की जा रही है। गांधी जी का अपमान तो सरे आम हो ही रहा है। यादगार दिन पर सरकारी घोषणा कर बीच का रास्ता अख्तियार करके चलती हैं सरकारें। अब सुनने में आया है कि सरकार गांधी जी के जन्म दिवस दो अक्टूबर को तंबाकू के सेवन करने पर आर्थिक दंड का प्राविधान करने जा रही है। क्या है मजाक नहीं है कि एक तरफ तो धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाने के प्राविधान किए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ सिगरेट, बीड़ी, अफीम, गांजा को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सरकार को इस क्षेत्र से अधिक आमदनी होती है। सिगरेट बनाने की कई कंपनियां हमारे देश में हैं। क्यों नहीं उन पर प्रतिबंध लगाया जाता। एक समय तो क्रिकेट के मैदान पर विल्स का खूब प्रचार होता था। फौजी केंटीनों में पनामा सिगरेट की आज भरपूर मात्रा में पूर्ति की जा रही है। लेकिन सरकार को आबकारी से कर के रूप में एक अच्छी खासी कमाई होती है। इस कमाई को वह प्रभावित नहीं करना चाहती है। सिगरेट या फिर बीड़ी के रेपर पर सिर्फ इतना अवश्य लिखा रहता है कि सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जब हानिकारिक है तो फिर वह बाजार में बिक्री के लिए क्यों उपलब्ध है। सरकार को सबसे पहले इनके उत्पादन बंद करने होंगे तब पब्लिक में जाकर घोषणा करना अच्छा भी लगता है और लोगों में इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है। गांधी जी क्यों जाने जाते हैं, क्योंकि उन्होंने जो कहा वही किया। यदि सरकार की नियत में कोई खोट नहीं है तो उन्हें गांधी जी के सिद्धांतों पर चलकर दिखाना होगा कि सरकार गांधी जी के सिद्धांतों पर चल रही है। क्योंकि गांधी जी नशा सेवन के पूर्ण खिलाफ थे। वह नहीं चाहते थे कि लोग इसके आदी हो जाएं और घर-परिवार लुट जाए। उनकी सोच लोगों के प्रति सकारात्मक थी। लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करना नहीं था। लेकिन सरकार तो खिलवाड़ कर रही है। एक तरफ तो नशा के सेवन पर प्रतिबंध लगा रही है तो दूसरी तरफ इनके उत्पादनों को प्रोत्साहन दे रही है। सरकारी घोषणा के बाद गांधी जयंती के दिन से सरकारी, गैर-सरकारी इमारतों तथा सार्वजनिक स्थलों आदि में धूम्रपान करने वालों को 200 रुपये जुर्माना देना पडे़गा। देश में संशोधित सिगरेट और अन्य उत्पाद अधिनियम-2008 दो अक्टूबर से देशभर में लागू हो जायेगा। सरकारी और गैर-सरकारी भवन और इमारतों तथा सार्वजनिक स्थलों आदि में अगर कोई धूम्रपान करता है तो उसके जिम्मेदार वहां के प्रबंधक या मालिक होंगे। उनको धूम्रपान करने वालों से जुर्माना वसूल करने का अधिकार होगा। पुलिस अधिकारियों के अलावा गैर-सरकारी संगठनों तथा रेलों में चल टिकट परीक्षकों को भी धूम्रपान करने वालों पर कानूनी रूप से जुर्माना लगाने का अधिकार दिया जायेगा।

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