Sunday, January 3, 2010

महंगाई पर काबू पाने के लिए मौद्रिक उपाय जरूरी

रिजर्व बैंक तंत्र से अतिरिक्त तरलता हटाए जाए ताकि खाद्य वस्तुओं की महंगाई पर अंकुश लगाया जा सके। रिजर्व बैंक 29 जनवरी को मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा और संभावना जताई जा रही है कि बैंकिंग तंत्र से तरलता निकालने के लिए रिजर्व बैंक प्रमुख दरों में बढ़ोतरी कर सकता है जिससे मांग पर अंकुश लगाकर मुद्रास्फीति को काबू में लाया जा सके।खाद्य वस्तुओं की उच्च मुद्रास्फीति के लिए आपूर्ति में बाधा और अधिक मांग जिम्मेदार है, जहां सरकार को आपूर्ति पर ध्यान देने की जरूरत है, वहीं मांग पर अंकुश लगाने की भी जरूरत है। वैश्विक वित्तीय संकट के बाद रिजर्व बैंक ने सीआरआर, एसएलआर, रेपो और रिवर्स रेपो जैसी प्रमुख दरें नरम कर दी थीं। वहीं, अक्तूबर में मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान रिजर्व बैंक ने एसएलआर 24 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसद कर दी थी। वार्षिक थोक मूल्य सूचकांक अक्तूबर में 1.34 फीसद था जो नवंबर में बढ़कर 4.78 फीसद पर पहुंच गया और रिजर्व बैंक के अनुमान के मुताबिक इसके मार्च के अंत तक बढ़कर 6.5 फीसद के स्तर पर पहुंचने की संभावना है। इसके अलावा, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर करीब 20 फीसद पर पहुंच गई।

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