Thursday, January 26, 2012

प्रहार और प्रतिरोधक क्षमता का नायाब नजारा


राजपथ ने 63वें गणतंत्र दिवस पर सशस्त्र सेनाओं के शौर्य, क्षमता और मुल्क की सांस्कृतिक संपदा का झरोखा खोल दिया। गणतंत्र दिवस परेड में नजर आई अग्नि-4 मिसाइल और प्रहार प्रक्षेपास्त्रों ने सैन्य प्रहार शक्ति की बानगी पेश की तो मानवरहित टोही विमान रुस्तम, बारूदी सुरंगों को उखाड़ फेंकने वाले टी-72 टैंक व एक साथ अनेक फ्रीक्वेंसियों को जाम कर देने वाले जैमर स्टेशन ने प्रतिरोधक क्षमता का नमूना दिखाया।

राजधानी में बुधवार सुबह गणतंत्र दिवस समारोह का आगाज 20 अगस्त, 2011 को देश के लिए जान न्योछावर करने वाले सेना के युवा अधिकारी लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह को अशोक चक्र प्रदान करने के साथ हुआ। मरणोपरांत अपने बेटे के लिए शांतिकाल का सर्वोच्च बहादुरी पदक पिता जोगिंदर सिंह ने जब राष्ट्रपति से हासिल किया तो उनका सीना फख्र से चौड़ा था, लेकिन शहीद नवदीप की मां की आंखें नम।

दिल्ली क्षेत्र के लेफ्टिनेंट जनरल अफसर वीके पिल्लै की अगुआई में शुरू हुई परेड में दो परमवीर चक्र प्राप्त योद्धाओं और सात अशोक चक्र विजेताओं ने भी राष्ट्रपति को सलामी दी। भारत के गणतंत्र बनने की 62वीं सालगिरह के मौके पर परेड की सलामी तीनों सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने ली। सैन्य क्षमता और सांस्कृतिक विविधता को समेटती इस परेड की मुख्य अतिथि थीं थाइलैंड की प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, रक्षा मंत्री एके एंटनी समेत सभी केंद्रीय मंत्री, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और आला सैन्य व असैन्य अधिकारियों के साथ बड़ी संख्या में आए स्कूली बच्चे व नागरिक परेड के साक्षी बने।

सर्द सुबह तीनों सेनाओं और अर्धसैनिक बलों के 20 मार्चिग दस्तों से लेकर अपनी गर्जना से दहलाने वाले वायुसेना के विमानों ने धरती और आसमान पर भारत की उभरती ताकत के दस्तखत उकेरे। पैरों को थिरकाने वाली संगीत धुनों पर आई सांस्कृतिक टोलियों ने उभरते भारत की नई तस्वीर खींची। परेड में इस बार बीते दिनों अमेरिका से खरीदे गए तीन सी-130जे बहुउद्देश्यीय विमान भी शामिल थे। यह पहला मौका था जब गणतंत्र दिवस परेड में मेड-इन-अमेरिका विमान ने भारतीय परचम लहराया। पहली बार नाभिकीय हथियारों के साथ तीन हजार किलोमीटर तक मार करने वाली अग्नि-4 मिसाइल का सार्वजनिक प्रदर्शन भी किया गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन [डीआरडीओ] ने 150 किमी तक मार करने वाले 'प्रहार' प्रक्षेपास्त्र का प्रदर्शन किया।

सैन्य प्रहार क्षमता की नुमाइश की कड़ी में सेना ने 37.5 किमी मारक क्षमता वाली पिनाक बहुनलीय प्रक्षेपास्त्र लांचर प्रणाली और 40 सेकेंड में 12 रॉकेट दागने वाली रूस से आयातित स्मर्च प्रक्षेपास्त्र प्रणाली राजपथ पर उतारा। नौसेना ने सुरक्षित समुद्र और महफूज तट के अपने लक्ष्य को सिद्ध करने के लिए झांकी की शक्ल में लंबी दूरी की निगरानी में सक्षम आइएल-38 और मानवरहित टोही विमान को दिखाया। वायुसेना के 27 विमानों और तीन लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के शानदार फ्लाइपास्ट के नजारे ने भरोसा दोहराया कि भारतीय आसमान के निगहबानों के पास ताकत भी है और काबिलियत भी।

No comments: